#खलिहान_से_लाइव भरत आज भरथा से भरत भाई हो गए हैं । आज आप इनके गांव जाओ और किसी को पूछो कि भरत जी का घर कहाँ है तो लोग आपको इनके घर तक पहुँचा देंगे, पर चलते-चलते जरूर पूछ देंगे कि कोनों कंपनी से आये हैं का? बहुते कंपनी वाला सब उनके पास आते रहता है । पूर्वी चंपारण के पकड़ी दयाल प्रखंड में एक गाम...
खलिहान से लाइव ̵...
posted by avinash
खेती-किसानी सुनते-बतियाते हमें अक्सर सुदूर देहातों में घूमने का मौका मिलता है, कई तरह की भाषाएं सिखने को मिलती है, कई क्षेत्रीय रीति-रिवाजों को जानने-समझने का मौका मिलता है । हम अपनी मिट्टी, अपने देस को बेहद करीब से जानने लगते हैं । किसी किसान के यहां जब गाय दुहकर आपके लिये ‘चाह’...
ख़ुशी – तेरे ना...
posted by avinash
ख़ुशी कैसी हो ? तेरे नाम से पहले कोई विशेषण अच्छा नहीं लगता मुझे | मुझे सिर्फ तुम ‘तुम जैसी’ ही अच्छी लगती हो | पिछले कुछ दिनों से जिस्म कि तकलीफें बढ़ गयी थी, लोग-बाग़ के साथ साथ आलमारी में लगा सीसा भी शिकायत करने लगा था | दिल कि तकलीफों को तो कोई नहीं देखता ख़ुशी पर जिस्मानी तकलीफें सब को नज़र...
‘मसाफिर कैफ़े’ –...
posted by avinash
‘मसाफिर कैफ़े’ दिव्य प्रकाश दुबे भाई कि तीसरी किताब है | यह एक छोटी सी उपन्यास है जिसे आप बड़े मजे स्टेशन के बुक स्टॉल से खरीदकर 2-३ घंटे में इस पार से उस पार तक पढ़ कर अगले स्टेशन पर बुक स्टॉल पर जमा कर सकते हैं, और फिर अगले स्टेशन तक के लिए नई किताब ले सकते हैं | इनके लिखने का अंदाज बड़ा सहज...
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