पगली का आखिरी प्रेम-पत्र
जो कभी तन्हाई में दिल उदास हो, बेचैन हो,
जो कभी भीड़ में मंजिल की डगर मुश्किल लगे,
तुम्हेँ मेरी जरुरत होगी |
पर घबराना मत,
तेरे बक्से में छुपाकर रखा था खुद को,
जब मेरी जुल्फों में उलझा था तू,
जज्बातों की कोई पुरानी पोटली खोलना,
उन खतों का हर अल्फाज़ तेरा गीत गुनगुनाएगा,
तू जरुर मुस्कुराएगा,
मुस्कुराहटों की आड़ में अश्क चुपके से तेरे गालों की चूमेगा |
कभी आजमा कर देखना,
मुझे मालूम था तेरा ये आज,
मैंने तेरे कल को देखा था |
तू रोना, खूब रोना.. फिर मुस्कुराना |
पर बेपरवाह दीवाने, तेरे पगली की कसम,
टूटना मत |
छूना, नभ को छूना,
अफ़सोस मत कर,
तुझे मिलेगा, सबकुछ मिलेगा |
तेरा हक़ है,
मुझे यकीं है |
मैं तो रूह हूँ तेरी,
तुझसे अलग कहाँ ?
तेरी पगली, तेरी ही पगली….!!
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